*विश्वशांति महाशिवरात्रि यज्ञ का आयोजन स्वामी समर्पण आश्रम में हुआ आयोजित*
देव भूमि जे के न्यूज ऋषिकेश –
विश्वशांति महा शिवरात्रि यज्ञ का आयोजन स्वामी समर्पण आश्रम
इस साधना का आधार शैव दर्शन, अग्नि पुराण, तंत्र शास्त्र, और अघोरी विद्या है। यह साधना विश्व की कल्याणार्थ की मार्ग पुरुषार्थ कराता है।
महाशिवरात्रि के विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए अवधूत परमहंस स्वामी समर्णानंद महाराज जी ने बताया कि पौराणिक कथाओं में यह भी कहा गया है कि महाशिवरात्रि शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवजी ने वैराग्य का त्याग कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया और माता पार्वती से विवाह किया. इसी कारण, हर वर्ष शिव-गौरी के विवाह उत्सव के रूप में महाशिवरात्रि का आयोजन किया जाता है.महाशिवरात्रि साल में एक बार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है. जबकि शिवरात्रि एक साल में हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने महाशिवरात्रि की रात को देवी पार्वती से विवाह किया था। भक्त, विशेष रूप से अविवाहित महिलाएँ, भगवान शिव से अच्छे पति की कामना के लिए अनुष्ठान और व्रत रखती हैं.हर चंद्र मास का चौदहवाँ दिन अथवा अमावस्या से पूर्व का एक दिन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। एक कैलेंडर वर्ष आने वाली सभी शिवरात्रियों में से, महाशिवरात्रि, को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, जो फरवरी-मार्च माह में आती है। इस रात, ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है कि मनुष्य भीतर ऊर्जा का प्राकृतिक रूप से ऊपर की और जाती है। यह एक ऐसा दिन है, जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। इस समय का उपयोग करने के लिए, इस परंपरा में, हम एक उत्सव मनाते हैं, जो पूरी रात चलता है। पूरी रात मनाए जाने वाले इस उत्सव में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि ऊर्जाओं के प्राकृतिक प्रवाह को उमड़ने का पूरा अवसर मिले, आप अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए – निरंतर जागते रहते हैं।
इस आयोजन में स्वामी ओंकारानंद,कथा व्यास पंडित पुरुषोत्तम, भावना, हरीश, ज्योति बर्थवाल, भीम सिंह, राजीव योगाचार्य, और विदेशी भक्त भी सम्मिलित हुए। विदेशी भक्तों में येलेना (जर्मनी), मारकेटा (चेक रिपब्लिक), और मारी आदि शामिल थे।