धर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- नचिकेता*


*आज का पञ्चांग*

*दिनाँक:-03/03/2024, रविवार*
*सप्तमी, कृष्ण पक्ष,*
*फाल्गुन*
(समाप्ति काल)

तिथि———- सप्तमी 08:44:17 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— अनुराधा 15:54:02
योग————– हर्शण17:23:20
करण————– बव 08:44:17
करण———– बालव 20:52:34
वार———————— रविवार
माह———————– फाल्गुन
चन्द्र राशि—————– वृश्चिक
सूर्य राशि——————- कुम्भ
रितु————————- वसंत
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर——————- शोभकृत
संवत्सर (उत्तर) ——————-पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————- 2080
शक संवत—————— 1945
कलि संवत—————– 5124
सूर्योदय————— 06:42:32
सूर्यास्त—————- 18:19:50
दिन काल————–11:37:18
रात्री काल————–12:21:39
चंद्रास्त—————- 10:57:49
चंद्रोदय—————- 25:30:27
लग्न—-कुम्भ 18°45′ , 318°45′
सूर्य नक्षत्र—————- शतभिषा
चन्द्र नक्षत्र—————- अनुराधा
नक्षत्र पाया——————- रजत

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

नू—- अनुराधा 09:40:00

ने—- अनुराधा 15:54:02

नो—- ज्येष्ठा 22:05:09

या—- ज्येष्ठा 28:13:18

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= कुम्भ 18:10, शतभिषा 4 सू
चन्द्र=वृचिक 11:30 ,अनुराधा 3 नू
बुध =कुम्भ 22:53′ पू oभा o 1 से
शु क्र= मकर 24°05, धनिष्ठा ‘ 1 गा
मंगल=मकर 20°30 ‘ श्रवण’ 4 खो
गुरु=मेष 17°30 भरणी , 2 लू
शनि=कुम्भ 16°50 ‘ शतभिषा ,3 सी
राहू=(व) मीन 23°30 रेवती , 3 च
केतु=(व) कन्या 23°30 चित्रा , 1 पे

*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*

राहू काल 16:53 – 18:20 अशुभ
यम घंटा 12:31 – 13:58 अशुभ
गुली काल 15:26 – 16: 53अशुभ
अभिजित 12:08 – 12:54 शुभ
दूर मुहूर्त 16:47 – 17:33 अशुभ
वर्ज्यम 21:41 – 23:19 अशुभ

🚩गंड मूल 15:54 – अहोरात्र अशुभ

💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 06:43 – 08:10 अशुभ
चर 08:10 – 09:37 शुभ
लाभ 09:37 – 11:04 शुभ
अमृत 11:04 – 12:31 शुभ
काल 12:31 – 13:58 अशुभ
शुभ 13:58 – 15:26 शुभ
रोग 15:26 – 16:53 अशुभ
उद्वेग 16:53 – 18:20 अशुभ

🚩चोघडिया, रात
शुभ 18:20 – 19:53 शुभ
अमृत 19:53 – 21:25 शुभ
चर 21:25 – 22:58 शुभ
रोग 22:58 – 24:31* अशुभ
काल 24:31* – 26:03* अशुभ
लाभ 26:03* – 27:36* शुभ
उद्वेग 27:36* – 29:09* अशुभ
शुभ 29:09* – 30:42* शुभ

💮होरा, दिन
सूर्य 06:43 – 07:41
शुक्र 07:41 – 08:39
बुध 08:39 – 09:37
चन्द्र 09:37 – 10:35
शनि 10:35 – 11:33
बृहस्पति 11:33 – 12:31
मंगल 12:31 – 13:29
सूर्य 13:29 – 14:27
शुक्र 14:27 – 15:26
बुध 15:26 – 16:24
चन्द्र 16:24 – 17:22
शनि 17:22 – 18:20

🚩होरा, रात
बृहस्पति 18:20 – 19:22
मंगल 19:22 – 20:23
सूर्य 20:23 – 21:25
शुक्र 21:25 – 22:27
बुध 22:27 – 23:29
चन्द्र 23:29 – 24:31
शनि 24:31* – 25:32
बृहस्पति 25:32* – 26:34
मंगल 26:34* – 27:36
सूर्य 27:36* – 28:38
शुक्र 28:38* – 29:40
बुध 29:40* – 30:42

*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*

कुम्भ > 04:48 से 06:24 तक
मीन > 06:24 से 07:44 तक
मेष > 07: 44 से 09:36 तक
वृषभ > 09:36 से 11:30 तक
मिथुन > 11:30 से 13:42 तक
कर्क > 13:42 से 16:06 तक
सिंह > 16:06 से 18:14 तक
कन्या > 18:14 से 20:30 तक
तुला > 20:30 से 22:26 तक
वृश्चिक > 22:26 से 00:46 तक
धनु > 00:46 से 02:56 तक
मकर > 02:56 से 04:42 तक

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

15 + 7 + 1 + 1 = 24 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

गुरु ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

22 + 22 + 5 = 49 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान वास = मृत्यु कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*कालाष्टमी*

*शबरी जयंती*

*भक्तमाल जयंती*

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

कवयः किं न पश्यन्ति कि न कुर्वन्ति योषितः ।
मद्यपाः किं न जल्पन्ति किंन खादन्ति वायसाः ।।
।। चा o नी o।।

वह क्या है जो कवी कल्पना में नहीं आ सकता. वह कौनसी बात है जिसे करने में औरत सक्षम नहीं है. ऐसी कौनसी बकवास है जो दारू पिया हुआ आदमी नहीं करता. ऐसा क्या है जो कौवा नहीं खाता.

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: ज्ञानकर्मसन्यास योग अo-04

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।,
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्‌ ॥,

हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ॥,7॥,

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। मान-सम्मान मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। स्वास्थ्य के प्रति सावधानी रखें। कार्यक्षमता एवं कार्यकुशलता बढ़ेगी। कर्म के प्रति पूर्ण समर्पण व उत्साह रखें। व्यापार में नई योजनाओं से लाभ होगा।

🐂वृष
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रुका हुआ धन मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें। प्रियजनों से पूरी मदद मिलेगी। धन प्राप्ति के योग हैं। स्वयं के सामर्थ्य से ही भाग्योन्नति के अवसर आएँगे। संतान के कार्यों में उन्नति के योग हैं।

👫मिथुन
अतिथियों का आवागमन रहेगा। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। स्वाभिमान बना रहेगा। नई योजनाओं की शुरुआत होगी। संतान की प्रगति संभव है। भूमि व संपत्ति संबंधी कार्य होंगे। पूर्व कर्म फलीभूत होंगे। परिवार में सुखद वातावरण रहेगा। व्यापार में इच्छित लाभ होगा।

🦀कर्क
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्ययवृद्धि होगी। तनाव रहेगा। अपरिचितों पर विश्वास न करें। प्रयास में आलस्य व विलंब नहीं करना चाहिए। रुके हुए काम समय पर होने की संभावना है। विरोधी परास्त होंगे। यात्रा कष्टप्रद हो सकती है। धैर्य एवं संयम बना रहेगा।

🐅सिंह
मेहनत का फल मिलेगा। कार्यसिद्धि से प्रसन्नता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। परिवार में प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। व्यापार के कार्य से बाहर जाना पड़ सकता है। कार्यपद्धति में विश्वसनीयता बनाएँ रखें। धनार्जन होगा।

🙍‍♀️कन्या
भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। जोखिम न लें। क्रोध एवं उत्तेजना पर संयम रखें। सत्कार्य में रुचि बढ़ेगी। प्रियजनों का पूर्ण सहयोग मिलेगा। व्यावसायिक चिंताएँ दूर होंगी। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। बेरोजगारी दूर होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी।

⚖️तुला
रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। विवाद न करें। सामाजिक एवं राजकीय ख्याति में अभिवृद्धि होगी। आर्थिक अनुकूलता रहेगी। रुका धन मिलने से धन संग्रह होगा। राज्यपक्ष से लाभ के योग हैं।

🦂वृश्चिक
व्यापार में नई योजनाएँ बनेंगी। व्यापार अच्छा चलेगा। राजकीय बाधा दूर होकर लाभ होगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। क्रोध पर नियंत्रण रखें। लाभ होगा। रुके हुए काम समय पर पूरे होने से आत्मविश्वास बढ़ेगा। परिवार की समस्याओं का समाधान हो सकेगा।

🏹धनु
उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। शत्रु सक्रिय रहेंगे। शोक समाचार मिल सकता है। थकान महसूस होगी। व्यावसायिक चिंता रहेगी। संतान के व्यवहार से कष्ट होगा। सहयोगी मदद नहीं करेंगे। व्ययों में कटौती करने का प्रयास करें। वाहन चलाते समय सावधानी रखें।

🐊मकर
जोखिम व जमानत के कार्य टालें। कुसंगति से हानि होगी। अपने काम से काम रखें। स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही न करें। आवास संबंधी समस्या हल होगी। आलस्य न करें। सोचे काम समय पर नहीं हो पाएँगे। चोट, चोरी व विवाद से हानि संभव है।

🍯कुंभ
भूमि व भवन संबंधी कार्य लाभ देंगे। रोजगार मिलेगा। शत्रु भय रहेगा। निवेश व नौकरी लाभ देंगे। व्यापार अच्छा चलेगा। कार्य के विस्तार की योजनाएँ बनेंगी। रोजगार में उन्नति एवं लाभ की संभावना है। पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी। लाभदायक समाचार मिलेंगे।

🐟मीन
पूजा-पाठ में मन लगेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। झंझटों में न पड़ें। उधार दिया धन मिलने से राहत हो सकती है। जीवनसाथी का सहयोग उलझे मामले सुलझाने में सहायक हो सकेगा। वाहन सावधानी से चलाएँ। कोर्ट-कचहरी में अनुकूलता रहेगी।

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*

*आज की पौराणिक कहानी*

*नचिकेता*

नचिकेता, जिसकी उम्र महज पांच या सात साल की रही होगी, लेकिन उसके इंसानी दिमाग में कौंध रहे विचार काफी उन्नति कर चुके थे. कठोपनिषद में नचिकेता को संसार का पहला जिज्ञासु बताया गया है.

वैदिक युग की बात है. कालखंड को भी मान लें तो यह सतयुग का समय रहा होगा. इसी समय एक महान ऋषि हुए वाजश्रवा. वाजश्रवा का एक बेटा हुआ वाजश्रवस. वाजश्रवस मेधावी था और उसने जल्द ही वेदों की ऋचाओं और यज्ञ की आहुतियों के मंत्र सुनकर याद कर लिए. समय के साथ वाजश्रवस जवान हुआ, उसका विवाह हुआ और फिर समय के साथ एक स्वस्थ पुत्र का पिता बन गया. एक दिन वाजश्रवस ने विश्वजित यज्ञ का अनुष्ठान किया और संकल्प लिया कि वह अपनी सारी संपत्ति और गाएं दान कर देगा.

इस समय उसका पुत्र, जिसका नाम नचिकेता था वह पांच वर्ष का बालक था. घर में कोई आयोजन हो तो बालकों के मन में उल्लास और खुशी तो होती ही है, नचिकेता भी यज्ञ और इस अनुष्ठान से काफी खुश था, लेकिन जब उसके पिता अपनी गाएं दान करने लगे तो वह दुखी हो गया. असल में ऋषि वाजश्रवस की सभी गायें बूढ़ी हो चुकी थीं और उनमें से कई तो बीमार भी थीं और दूध भी नहीं देती थीं. नचिकेता ऐसा सोचने लगा कि उसके पिता जो कर रहे हैं वह दान नहीं, चालाकी है. दान तो अपनी प्यारी वस्तुओं का करना चाहिए. ऐसा उसने आश्रम में एक आचार्य से सुन रखा था.

यही बात कहने वह अपने पिता के पास पहुंचा. उसने दान का संकल्प लेते अपने पिता के हाथ पकड़ते हुए कहा कि यह आप क्या कर रहे हैं. आप अपनी बूढ़ीं गाएं दान क्यों दे रहे हैं, वह किसी काम की नहीं हैं. पिता ने उसे एक ओर झटका और फिर दान का संकल्प लेने लगे. नचिकेता, फिर से उन्हें समझाने लगा. कहने लगा- पिताजी, दान तो उसका करते हैं न जो सबसे प्रिय हो? तो फिर आपके लिए सबसे प्रिय तो मैं हुआ. हां, मैं ही तो हूं आपको सबसे प्रिय. तो फिर आप मुझे किसे दान में देंगे?

नचिकेता बुरी तरह उलझते हुए अपने पिता से यह सवाल करने लगा. वह बार-बार पूछने लगा, आप मुझे किसे दान में देंगे? आप मुझे किसे दान में देंगे? आप मुझे किसे दान में देंगे? नचिकेता के बार-बार किए जा रहे इन सवालों से झल्लाए उसके पिता गुस्से में भर उठे और उन्होंने नचिकेता को डपटते हुए कहा- जा मैं तुझे यम को दान में देता हूं.

पिता की आज्ञा पालन के लिए भगवान श्रीराम प्रसिद्ध हैं कि वह उनके वचन का पालन करने के लिए वन को चले गए, लेकिन नचिकेता ने गुस्से में भी कहे गए पिता की बातों को गंभीरता से लिया और सहर्ष इसे स्वीकार करते हुए यम के पास जाने के लिए तैयारी करने लगा. यम, जो कि मृत्यु के देवता हैं और जिनके पास जाने का अर्थ मौत के अलावा कुछ नहीं है, फिर भी नचिकेता उस राह पर चल पड़ा. मां रोने लगी, पिता दुखी होकर पछताने लगे, लेकिन नचिकेता अडिग रहा. उसने कहा कि, अब मैं दान में दिया जा चुका हूं तो मैं वहीं जाऊंगा, जिसे मैं दान में मिला हूं.

लाख रोके जाने के बावजूद भी नचिकेता नहीं रुका, वह चल पड़ा. जो मानव समाज से सिर्फ जीवन के लिए आतुर रहता है उसी समाज का एक बालक मौत को खोजने निकल पड़ा. यहां ये सवाल जरूर हो सकता है कि नचिकेता मृत्यु के पास कैसे गया? क्या वह शरीर के साथ गया या मरकर? क्योंकि मृत्यु के पास जाना आसान नहीं और जाया भी जाए तो सिर्फ आत्मा ही वहां जा सकती है शरीर नहीं. खैर, नचिकेता नदी-पहाड़, जंगल पार करते हुए चल पड़ा. कहते हैं कि वह कई दिनों की यात्रा करके मृत्यु के द्वार पर पहुंच गया.

यहां यम के द्वारपाल ने उसे रोक लिया और लौट जाने के लिए कहा, लेकिन नचिकेता लौटने के लिए नहीं आया था. वह वहीं खड़ा रहा और यम से मिलने के लिए अड़ा रहा. उसका यह इंतजार तीन दिन तक जारी रहा. आखिर, यम उसकी इस अवस्था को देखकर पिघल गए और बाहर आए. नचिकेता ने जो तीन दिन का इंतजार किया, वह जीवन की तीन अवस्थाओं बाल्यकाल, यौवन और बुढ़ापे का प्रतीक हैं. तीन दिन बाद यम का आना यानी मृत्यु का आना है.

यम जब आए तो नचिकेता से उन्होंने भी लौट जाने को कहा, तब नचिकेता ने अपनी चतुराई बुद्धि का प्रदर्शन किया. उसने कहा कि क्या जिसे मृत्यु मिल जाए उसका लौटना संभव है? क्या ऐसा होना आपके संविधान और कालचक्र के विपरीत नहीं? उस छोटे से बालक की बात सुनकर यम वाकई अपनी बात में उलझ गए. तब यम, जो कि क्रूरता और गंभीरता के लिए जाने जाते हैं वह दयालु और कोमल हो गए और उन्होंने प्यार से नचिकेता को अपनी गोद में बिठाकर पूछा, अच्छा बताओ, क्यों आए हो? नचिकेता ने अपने पिता द्वारा दान की गई बात बताई. यम ने कहा, ठीक है मैं तुम्हारा अभिभावक हुआ, तुम्हें अभय दिया और क्या इच्छा है?

नचिकेता ने कहा कि, अब कोई इच्छा नहीं, बस आप अपने धर्म का पालन कीजिए. यमराज फिर उलझ गए, मेरा धर्म कौन सा है? नचिकेता ने कहा- अभिभावक होकर आप मुझे ज्ञान दीजिए और मार्गदर्शन भी, यही तो अभिभावक करते हैं. यमराज हंस दिए. एक सात साल के बालक ने उन्हें अपना गुरु बना लिया था. तब यमराज ने नचिकेता को वह सारा ज्ञान दिया जो कि वेदों का सार है, पुराणों की परिभाषा है और इंसानी तौर पर जो आज भी हमारी जिज्ञासा है.

नचिकेता की इसी कथा को उपनिषदों समेत अन्य ग्रंथों में भी अलग-अलग ढंगों से कहा गया है. हालांकि सभी का सार यही है. महाभारत के शांति पर्व में भी नचिकेता की कथा जन्म-मृत्यु और कर्मयोग की व्याख्या के दौरान आई है. इसमें कहा गया है कि, जब नचिकेता बिना खाए-पिए तीन दिन तक यम द्वार पर रहा तो यम को दुख हुआ कि ब्राह्मण अतिथि तीन दिनों तक उनके द्वार पर बिना अन्न-जल के रहा. अतिथि देवो भव: की परंपरा का उदाहरण भी यहां देखने को मिलता है.

अपनी गलती की भरपाई के लिए, यम ने नचिकेता से कहा, “आपने मेरे द्वार पर तीन दिन बिना अन्न-जल बिताया है, इसलिए मुझसे तीन वरदान मांगो. नचिकेता ने सबसे पहले अपने पिता और खुद के लिए शांति मांगी. दूसरे वरदान में नचिकेता ने पवित्र अग्नि विद्या सीख ली. इस तरह यम ने अग्नि को एक और नाम नचिकेत अग्नि दिया. तीसरे वरदान में नचिकेता शरीर की मृत्यु और उसका रहस्य जानना चाहता था.

यम नचिकेता को ये अंतिम ज्ञान देना नहीं चाहते थे. उन्होंने कहा कि यह देवताओं के लिए भी एक रहस्य है. उन्होंने नचिकेता से कुछ और वरदान मांगने को कहा और कई ऐशो-आराम, राज्य-समाज ले लेने को कहा, लेकिन नचिकेता ऐसे किसी लालच में नहीं फंसा. वह आत्मा का ज्ञान पाने के लिए अटल रहा. नचिकेता से खुश होकर यम ने उसे अपना शिष्य बना लिया और नचिकेता को आत्मरहस्य का ज्ञान दिया. उसे तत्व के बारे में बताया और इसके अलावा जो कुछ भी कहा वह कुछ इस तरह है कि,

ॐ ही ब्रह्म है.

आत्मा, जिसका प्रतीक ॐ है, सर्वव्यापी ब्रह्म ही है. छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा भी वही है.

बुद्धिमान का लक्ष्य इस आत्मा को जानना है.

आत्मा एक सवार की तरह है; घोड़े इंद्रियां हैं, जिन्हें वह इच्छाओं की भूलभुलैया के मध्य से मार्ग पर ले जाता है.

मृत्यु के बाद आत्मा ही रहती है; आत्मा अमर है.

केवल शास्त्रों को पढ़ने या बौद्धिक शिक्षा से आत्मा का एहसास नहीं हो सकता.

आत्मा को शरीर से अलग समझना चाहिए, जो कि इच्छा का स्थान है.

ब्रह्म को न समझ पाने से ही मनुष्य पुनर्जन्म के चक्र में फंस जाता है. समझ लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

यम से ज्ञान प्राप्त करके नचिकेता अपने पिता के पास वापस लौट आया. वाजश्रवस को भी अपनी भूल का अहसास हो चुका था. उन्होंने संन्यास धारण कर लिया. नचिकेता आत्मा की साधना में लग गया.

कठोपनिषद में शामिल नचिकेता की कथा, जिज्ञासा की कोई पहली कहानी नहीं है, न ही ये कोई आखिरी किस्त है. बल्कि यह कहानी जीवन को समझने में सबसे अहम है और इंसानी चेतना को जगाने का जरिया है. वैदिक परंपरा में क्या-क्या छिपा हुआ है, यह कहानी उसकी भी एक झलक ही है.

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