*शबरी हो कालनेमी हो अहिल्या, मंदोदरी, गार्गी हो या तुलसी कालीन पिंगला सबको राम पर समान अधिकार -बापू*
देव भूमि जे के न्यूज ऋषिकेश –
धर्म की जब जब हानी होती है राम मनुष्य रूप में अवतार लेते हैं। सत्य प्रेम करुणा के साधक विश्व प्रसिद्ध राम कथा वाचक मोरारी बापू ने पांचवें दिन राम तत्व का रसास्वादन कराते हुए कहा कि गीता में भगवान के अवतरण लेने का कारण धर्म ग्लानि और धर्म को स्थापित करने के लिए बताया गया उसी प्रकार राम चरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास ने बताया है कि भगवान राम का अवतार धर्म की हानी और सज्जनों गौ, साधू-संत आदि की पीड़ा हरने के लिए बताया। आज की कथा के मुख्य आकर्षण रामदेव बाबा ने राम कथा का श्रवण किया। बापू ने सफेद एवं गेरूए वस्त्र मे सेतुबंध करते हुए स्वयं को सफेद वस्त्र धारी जो गृहस्थ प्रतिमात्मक और संन्यास परंपरा के गेरूए वस्त्र धारण किए रामदेव का स्वागत अभिनन्दन किया। इस अवसर पर रामदेव ने बापू को सनातन धर्म की साक्षात जीवांत मूर्ति बताया। रामदेव ने कहा कि कुछ विरोधी ताकतें भारत की सनातनी परंपरा को कुचलने का कार्य कर रही। मौके पर उन्होंने कहा कि कोई ऐसी ताकत नहीं है जो जम्मू कश्मीर से धारा 370 को बहल कर सके । उन्होंने कहा धारा 370 अब कभी लागू नहीं होगी। कथा में प्रवेश करते हुए बापू ने कहा कि राम कथा को सुनने और कहने का सभी को अधिकार है। बापू ने कहा चाहे शबरी हो कालनेमी हो अहिल्या, मंदोदरी, गार्गी हो या तुलसी कालीन पिंगला सबको राम पर समान अधिकार है। मानस ब्रह्म विचार कथा के विषय पर चर्चा करते हुए बापू ने कहा विष्णु घराने की सनातनी दृष्टि से ब्रह्म विचार के तीन आयाम है पहला केवल ब्रह्म विचार दूसरा वेद,विभिन्न ग्रंथों के आधार पर और तीसरा एकांत में शांत चित्त हो कर उसका पाचन करना। उन्होंने महात्मा को ब्रह्म, बुद्धात्मा को पारब्रह्म एवं राम,कृष्ण,शिव को प्राप्त परातबरहम बताते हुए कथा में प्रवेश किया। बापू ने वेदांत रत्नाकर से मिले अमृत को श्रोताओं को रसपान कराते हुए कहा कि वेद प्याऊ के समान है। श्रुतियों का सेवन करते हुए एकांत धारण करते हैं शांत चित्त होकर उसे पचा जाओ यह ध्यान की अवस्था है। कथा में बापू ने कहा कि राम तत्व रुपी बीज दादा विष्णु की तप स्थली और देवभूमि ऋषिकेश में विराटता लेते हुए बात बहनों द्वारा यज्ञ आज लोक उपकार हेतु राम कथा के रूप में अवतरित हुआ है। बापू ने आज रामकथा में राम जन्म की सबको हार्दिक बधाई देते हुए कथा को विश्राम दिया।